वर्कलोड की शिकार सुप्रीमकोर्ट, नहीं मिल रहा अपने ही जजों को इंसाफ देने का समय
जालंधर। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश माननीय तीर्थ सिंह ठाकुर ने जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्ग मोदी की मौजूदगी में न्यायिक व्यवस्था की बदहाली पर आंसू बहाए थे, उस दिन ऐसा प्रतीत हुआ था कि न्याय में विलंब को लेकर सुप्रीमकोर्ट अत्यंत गंभीर है। मगर, मौजूदा हालात तो शीर्ष कोर्ट की सोच के विपरीत दिखाई पड़ रहे हैं। अब चाहे शीर्ष कोर्ट पर काम का बोझ कहा जाए या फिर कारण कुछ और भी बन रहे हो लेकिन एक बात सामने आई है कि सुप्रीम कोर्ट से आम जनता ही नहीं बल्कि खुद इनके अपने जज भी जल्द न्याय न मिलने के कारण हताश है। जानकारी मिली है कि त्वरित न्याय देने की दिशा में काफी सक्रियता से योगदान देने वाले राज्य पंजाब के जज खुद अपना केस सुप्रीम कोर्ट से न निपटने के कारण काफी कुंठा महसूस कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक यहां से कुछ आधा दर्जन सैशन जजों का सीनियोरिटी विवाद इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बीते साल भर से विचाराधीन है। प्रशासनिक स्तर पर देखा जाए तो जिला एवं सत्र न्यायाधीश वाले काफी अहम पद यहां इसी विवाद के चलते खाली पड़े हैं। वहीं कुछ सैशन जजों की बतौर हाईकोर्ट जज प्रमोशन होने वाली है तथा कुछ रिटायर भी होने वाले है। इससे सीधा असर केसों के निपटारे पर पड़ने जा रहा है। अहम पद खाली होने पर एडिशनल चार्ज अन्य जजों को मिलेगा तो काम की रफ्तार पर भी विपरीत असर पड़ना स्वाभाविक है। संभवत: केस की सुनवाई के चलते सभी संबंधित जज केस की पैरवी को लेकर भी समय दे रहे होंगे जिससे उनकी नियमित कार्य गति पर भी विपरीत असर पड़ रहा होगा। ऐसे में साफ है कि खुद सुप्रीम कोर्ट को इस तथ्य का संज्ञान लेना होगा और कम से कम त्वरित न्याय की जो गति चल रही है, उसे बनाए रखने के लिए सीनियोरिटी विवाद से जुड़े केस का पहल के आधार पर निपटारा करना चाहिए। इससे जहां माननीय पूर्व मुख्य न्यायाधीश तीर्थ सिंह ठाकुर की ओर से बहाए आंसुओं की कीमत अदा होगी, वहीं केस निपटने के बाद केस से जुड़े जज भी अपना काम पूरे ध्यान से कर पाएंगे।
-------जानिए, आखिर क्या है इन जजों का विवाद
-------पंजाब के सैशन जजों का विवाद पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के प्रशासनिक फैसले के बाद उस समय पनपा था जब प्रमोशन किए जाने की पालिसी में पहले रैगुलर भर्ती वाले जजों को सीनियोरिटी में पहल देने, फिर फास्ट ट्रैक कोर्ट के जजों, इसके बाद आउट ऑफ टर्न यानि एग्जाम पास करके या फिर उत्कृष्ट सेवाओं के चलते प्रमोशन पाने वाले जजों तथा अंत में सीधे भर्ती जजों को प्रमोशन लाभ देने का फैसला किया गया। इस फैसले से प्रभावित होने वाले जजों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में याचिका के रूप में चुनौती दी जिसमें उनकी जीत हुई और यह तय हुआ कि प्रमोशन के समय सबसे पहले फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज को वरिष्ठता सूची में ऊपर गिना जाएगा जिसके बाद आउट ऑफ टर्न लाभार्थी, फिर डायरैक्ट तथा अंत में रैगुलर (बियांड कोटा) को सूची में स्थान दिया जाएगा। अब चूंकि इस फैसले से काफी विवाद बढ़ता दिखाई देने लग गया था और लाभार्थियों में तत्काल सेवा लाभ व पदोन्नति लाभ लेने की होड़ मचती दिखाई दे रही थी, तो बीते साल इस फैसले के बाद सीनियोरिटी विवाद को हाईकोर्ट प्रशासन ने शीर्ष कोर्ट के पाले में डाल दिया था। शीर्ष कोर्ट ने भी विवाद के कारण कोई प्रशासन के काम में खलल न हो, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे आर्डर जारी कर दिया था। साल भर बीतने को आ रहा है। विवाद से जुड़ी पटीशन सुनवाई सूची में तो शामिल हो रही है लेकिन संभवत: काम के बोझ के चलते इस पर सुनवाई हो नहीं पा रही है। हालांकि संबंधित पक्षों के जज हर तारीख पर जा रहे हैं।
-------इसलिए जरूरी है सीनियोरिटी विवाद का जल्द हल
----सुप्रीम कोर्ट को पंजाब के जजों का सीनियोरिटी विवाद इसलिए जल्द निपटाना चाहिए क्योंकि यहां पहले से ही जिला एवं सैशन जज के 6 पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा 2 पद अप्रैल व जून में दो सैशन जजों (फरीदकोट व होशियारपुर) की रिटायरमैंट के बाद खाली होने जा रहे हैं जिससे अहम पदों की संख्या में गिरावट दर्ज होने जा रही है। एक अन्य तकनीकी लेकिन प्रशासनिक पहलू यह भी जल्द सामने आ रहा है कि मौजूदा सैशन जजों में से पांच सैशन जजों का समय उनको रैगुलर प्रमोशन देकर पंजाब एंड हरियाणा में जज बनाया जाना है। ऐसे में यदि सीनियोरिटी विवाद जल्द से जल्द न निपटाया गया तो यह पद, उस फैसले के आने तक खाली रह सकते हैं। कारण साफ है कि जब तक सीनियोरिटी विवाद हल न होगा, किसी भी एडिशनल सैशन जज स्तर के अधिकारी को नियमित प्रमोशन देकर डिस्टि्रक्ट एंड सैशन जज नहीं लगाया जाएगा। ऐसे में सेवा लाभ पाने के इच्छुक जजों पर भी मानसिक बोझ बना रहेगा कि वह न जाने कब अपनी सेवा अनुसार पद को हासिल कर पाएंगे। बेशक उनको एडिशनल चार्ज भी मिल जाए लेकिन गिनती उनकी रैगुलर प्रमोशन मिलने पर ही होगी।
------सीनियोरिटी विवाद केस पर इन जजों की निगाहें
-------सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जिन जजों की निगाहें टिकी बताई जा रही है, उनमें डिस्टि्रक्ट एंड सैशन जज किशोर कुमार, ए.एस. ग्रेवाल, हरपाल सिंह, परमजीत सिंह, एडिशनल सैशन जज वरिंदर अग्रवाल, हरप्रीत रंधावा, के.के. करीर, रमेश कुमारी, सुनीता कुमारी, हरपाल सिंह शामिल बताए जा रहे हैं। इनमें से कुछ जजों के लिए यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि फैसला उनके हक में आता है, तो वह सीधे ही पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जज के तौर पर भी प्रमोशन हासिल कर सकते हैं। हालांकि यह प्रशासनिक मामला होगा कि उनको कितने समय काल के बाद यह लाभ मिलता है। एक बात यह भी कि यह विवाद हल होने के बाद पंजाब में जिला एंव सैशन जजों की संख्या जल्द ही पूरी हो जाएगी। इससे जहां केसों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है, वहीं केस के कारण अधर में लटके प्रशासनिक सुधार भी गति पकड़ेंगे।